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कविता

रिश्ता

सुमित पी.वी.


आखिर होता क्या है
आदमी-आदमी का रिश्ता?

है इसकी कोई व्याख्या?
है इसका कोई रूप?
है इसका कोई मूल्य?

लगता है यह कुछ नहीं है
बस ढ़ाई अक्षरों वाली
एक पुलिया है
उससे बढ़ कर और कुछ नहीं


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हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



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